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truth love story in hindi : मेरे अजनबी हमसफ़र ❤️ love kahani

वह ट्रेन के रिजर्वेशन डिब्बे में बाथरूम की तरफ वाली सीट पर बैठी थी. उसके चेहरे से लग रहा था कि उसके दिल में थोड़ी घबराहट थी कि कहीं टीटी आकर उसे पकड़ न ले तो वह कुछ देर के लिए पीछे मुड़ गई. वह घूम गई और टीटी के आने का इंतजार करने लगी। शायद वह सोच रही थी कि थोड़े पैसे देकर कुछ समझौता कर लेगी. देखने से ऐसा लग रहा था कि जनरल डिब्बे में नहीं चढ़ पा रहे थे, इसलिए वो उसमें आकर बैठ गईं, शायद उन्हें ज़्यादा लंबा सफ़र नहीं करना पड़ेगा. सामान के नाम पर उनकी गोद में एक छोटा सा बैग रखा दिख रहा था.

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मैं बहुत देर तक उसे पीछे से देखने की कोशिश करता रहा ताकि उसका चेहरा साफ़ देख सकूँ लेकिन हर बार असफल रहा… फिर थोड़ी देर बाद वो भी खिड़की पर हाथ टिकाकर सो गयी। और मैं भी वापस से अपनी किताब पढ़ने में लग गया…लगभग 1 घंटे के बाद टीटी आया और उसे हिलाकर उठाया।“कहाँ जाना है बेटा mam दिल्ली तक जाना है”“टिकट है ?” “नहीं

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नहीं mam …. जनरल का है ….लेकिन वहां चढ़ नहीं पाई इसलिए इसमें बैठ गयी”“अच्छा 500 रुपये का पेनाल्टी बनेगा” “ओह …mam मेरे पास तो लेकिन 200 रुपये ही हैं”“ये तो गलत बात है बेटा …..पेनाल्टी तो भरनी पड़ेगी ” “सॉरी mam …. मैं अलगे स्टेशन पर जनरल में चली जाउंगी …. मेरे पास सच में पैसे नहीं हैं …. कुछ परेशानी आ गयी, इसलिए जल्दबाजी में घर से निकल आई … और ज्यादा पैसे रखना भूल गयी….” बोलते बोलते वो लड़की रोने लगी टीटी उसे माफ़ किया और 200 रुपये में उसे दिल्ली तक उस डब्बे में बैठने की परमिशन देदी। टीटी के जाते ही उसने अपने

आँसू पोंछे और इधर-उधर देखा कि कहीं कोई उसकी ओर देखकर हंस तो नहीं रहा था..थोड़ी देर बाद उसने किसी को फ़ोन लगाया और कहा कि उसके पास बिलकुल भी पैसे नहीं बचे हैं …दिल्ली स्टेशन पर कोई जुगाड़ कराके उसके लिए पैसे भिजा दे, वरना वो समय पर गाँव नहीं पहुँच पायेगी। मेरे मन में उथल-पुथल हो रही थी,

love kahani 2024 ❤️ न जाने क्यूँ उसकी मासूमियत देखकर उसकी तरफ खिंचाव सा

न जाने क्यूँ उसकी मासूमियत देखकर उसकी तरफ खिंचाव सा महसूस कर रहा था, दिल कर रहा था कि उसे पैसे देदूं और कहूँ कि तुम परेशान मत हो … और रो मत …. लेकिन एक अजनबी के लिए इस तरह की बात सोचना थोडा अजीब था। उसकी शक्ल से लग रहा था कि उसने कुछ खाया पिया नहीं है शायद सुबह से … और अब तो उसके पास पैसे भी नहीं थे। बहुत देर तक उसे इस परेशानी में देखने के बाद मैं कुछ उपाय निकालने लगे जिससे मैं उसकी मदद कर सकूँ और फ़्लर्ट भी ना कहलाऊं। फिर

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मैं एक पेपर पर नोट लिखा,“बहुत देर से तुम्हें परेशान होते हुए देख रहा हूँ, जानता हूँ कि एक अजनबी हम उम्र लड़के का इस तरह तुम्हें नोट भेजना अजीब भी होगा और शायद तुम्हारी नज़र में गलत भी, लेकिन तुम्हे इस तरह परेशान देखकर मुझे बैचेनी हो रही हैइसलिए यह 700 रुपये दे रहा हूँ

तुम्हे कोई अहसान न लगे इसलिए मेरा एड्रेस भी लिख रहा हूँ ……जब तुम्हें सही लगे मेरे एड्रेस पर पैसे वापस भेज सकती हो …. वैसे मैं नहीं चाहूँगा कि तुम वापस करो ….. अजनबी हमसफ़र ” एक चाय वाले के हाथों उसे वो नोट देने को कहा, और चाय वाले को मना किया कि उसे ना बताये कि वो नोट मैंने उसे भेजा है। नोट मिलते ही उसने दो-तीन बार पीछे पलटकर देखा कि कोई उसकी तरह देखता हुआ नज़र आये तो उसे पता लग जायेगा कि किसने भेजा। लेकिन मैं तो नोट भेजने के बाद ही मुँह पर चादर डालकर ल

love kahani 2024: Thank You मेरे अजनबी हमसफ़र

था.थोड़ी देर बाद चादर का कोना हटाकर देखा तो उसके चेहरे पर मुस्कराहट महसूस की। लगा जैसे कई सालों से इस एक मुस्कराहट का इंतज़ार था।

उसकी आखों की चमक ने मेरा दिल उसके हाथों में जाकर थमा दिया .

फिर चादर का कोनाहटा- हटा कर हर थोड़ी देर में उसे देखकर जैसे सांस ले रहा था मैं…पता ही नहीं चला कब आँख लग गयी। जब आँख खुली तो वो वहां नहीं थी … ट्रेन दिल्ली स्टेशन पर ही रुकी थी। और उस सीट पर एक छोटा सा नोट रखा था ….. मैं झटपट मेरी सीट से उतरकर उसे उठा लिया .. और उस पर लिखा था … Thank You मेरे अजनबी हमसफ़र

आपका ये अहसान मैं ज़िन्दगी भर नहीं भूलूँगी …. मेरी माँ आज मुझे छोड़कर चली गयी हैं …. घर में मेरे अलावा और कोई नहीं है इसलिए आनन – फानन में घर जा रही हूँ। आज आपके इन पैसों से मैं अपनी माँ को शमशान जाने से पहले एक

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बार देख पाऊँगी …. उनकी बीमारी की वजह से उनकी मौत के बाद उन्हें ज्यादा देर घर में नहीं रखा जा सकता। आज से मैं आपकी कर्ज़दार हूँ ….जल्द ही आपके पैसे लौटा दूँगी। उस दिन से उसकी वो आँखें और वो मुस्कराहट जैसे मेरे जीने की वजह थे …. हर रोज़ पोस्टमैन से पूछता था शायद किसी दिन उसका कोई ख़त आ जाये …. आज 1 साल बाद एक ख़त मिला

आपका क़र्ज़ अदा करना चाहती हूँ …. लेकिन ख़त के ज़रिये नहीं आपसे मिलकर … नीचे मिलने की जगह का पता लिखा था …. और आखिर में लिखा था … तुम्हारी अजनबी हमसफ़र

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